पंचतत्व में विलीन हुए संत सियाराम बाबा, अंतिम संस्कार में शामिल हुए सीएम मोहन यादव



इंदौर। निमाड़ के संत सियाराम बाबा का बुधवार दोपहर ठीक 4 बजे हिंदू रीति-रिवाज से साधु-संतों ने अंतिम संस्कार कर दिया। खरगोन में कसरावद के तेली भट्यान गांव में नर्मदा किनारे उनका अंतिम संस्कार किया गया। साधु-संतों ने उन्हें मुखाग्नि दी।

इस दौरान लाखों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने नम आंखों से उन्हें विदाई दी। सीएम डॉक्टर मोहन यादव भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए। बाबा के अंतिम दर्शन के लिए निमाड़ सहित पूरे मध्य प्रदेश से लाखों भक्त खरगोन के तेली भट्टयान आश्रम पहुंचे।

इससे पहले सियाराम बाबा की उनके आश्रम से नर्मदा घाट तक अंतिम यात्रा निकाली गई। इस दौरान श्रद्धालुओं ने जय सियाराम के नारे लगाए। करीब तीन लाख लोगों ने बाबा के अंतिम दर्शन किए। दोपहर करीब तीन बजे सीएम डॉ. मोहन यादव ने आश्रम पहुंचकर बाबा को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने बाबा की समाधि व क्षेत्र को पवित्र और पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा की।

बता दें कि 29 नवंबर को बाबा को निमोनिया होने के बाद से वह बीमार चल रहे थे। डॉक्टरों की निगरानी में आश्रम पर ही बाबा का उपचार चल रहा था। उन्होंने खाना छोड़ दिया था और सिर्फ थोड़ा-थोड़ा तरल पदार्थ ही ग्रहण कर रहे थे। बाबा ने बुधवार को मोक्षदा एकादशी पर सुबह 6:10 बजे अंतिम सांस ली।

संत सियाराम के अनुयायियों ने बताया, बाबा का असली नाम कोई नहीं जानता। वे 1933 से नर्मदा किनारे रहकर तपस्या कर रहे थे। 10 साल तक खड़े रहकर मौन तपस्या की। वे करीब 70 साल से रामचरित मानस का पाठ भी कर रहे थे। उन्होंने अपने तप और त्याग से लोगों के हृदय में जगह बनाई। उनके मुंह से पहली बार सियाराम का उच्चारण हुआ था, तभी से लोग उन्हें संत सियाराम बाबा कहकर पुकारते हैं।

 

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